श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण, द्वितीय खण्ड, हिन्दी टीका के साथ (Shrimadvalmikiya Ramayan, Second Volume, With Hindi Translation)
- Brand: Gita Press, Gorakhpur
- Product Code: 76
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त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होने से इस में भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पों की दिव्य सुगन्ध है। मूल के साथ सरस हिन्दी अनुवाद में दो खण्डों में उपलब्ध। सचित्र, सजिल्द।