भगवान से अपनापन (Bhagwan Se Apnapan)
- Brand: Gita Press, Gorakhpur
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यद्यपि हम परमात्मा के ही हैं, क्योंकि परमात्मा का अंश जीव अपने अंशी परमात्मा से अलग हो ही नहीं सकता, तथापि इस मान्यता के बिना कि हम परमात्मा के हैं, जीव परमात्मा से विमुख ही रहता है। प्रत्युत पुस्तक भगवान में निष्ठा पैदा कर साधना में तीव्रता लानेवाले स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज के प्रवचनों का सुन्दर संग्रह है।