त्याग और परोपकार के मूर्तिमान् स्वरूप महाराजा रन्तिदेव, राजा शिबि आदि भक्तों के चरित्र का प्रस्तुत पुस्तक में ऐसा हृदयहारी चित्रण है कि इसे पढ़ने पर पाठकों के मन में सद्गुणों की अमिट छाप पड़ने के साथ आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं।
त्याग और परोपकार के मूर्तिमान् स्वरूप महाराजा रन्तिदेव, राजा शिबि आदि भक्तों के चरित्र का प्रस्तुत पुस्तक में ऐसा हृदयहारी चित्रण है कि इसे पढ़ने पर पाठकों के मन में सद्गुणों की अमिट छाप पड़ने के साथ आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं।