गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा विरचित तथा श्री इन्द्रदेव नारायण जी द्वारा अनुवादित यह पुस्तक भावुक भक्तों को प्राणों के समान प्रिय है। इसमें भगवान श्रीराम के बालकाण्डसे लेकर उत्तरकाण्ड पर्यन्त लीलाओं का बड़ा ही मनोहारी चित्रण है।
गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा विरचित तथा श्री इन्द्रदेव नारायण जी द्वारा अनुवादित यह पुस्तक भावुक भक्तों को प्राणों के समान प्रिय है। इसमें भगवान श्रीराम के बालकाण्डसे लेकर उत्तरकाण्ड पर्यन्त लीलाओं का बड़ा ही मनोहारी चित्रण है।