इस पुस्तक में ब्रह्मलीन श्री जयदयाल जी गोयन्दका द्वारा समय-समय पर लिखे गये मनुष्य मात्र के उद्धार-हेतु मार्मिक लेखों का एक अनुपम संग्रह, जिसमें गुरु-भक्ति, मातृ-पितृ भक्ति, ईश्वर-भक्ति, पातिव्रत्य धर्म आदि विषयों को प्रेरणादायक उदाहरणों के द्वारा समझाया गया है।