प्राचीनकाल में ऐसे अनेक संत और भक्त हुए हैं, जिन्होंने अपना सब कुछ भगवान को अर्पण कर अपनी आत्मा को प्रभुमय बना लिया और अपने जीवन में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य को चरितार्थ कर जीवन का सर्वोत्कृष्ट लाभ प्राप्त किया। प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे ही उत्कृष्ट भक्त मार्कण्डेय मुनि, राजा शंख, मुनि उतंक, विष्णुदास, राजा चित्रकेतु आदि चौदह भक्तों के सुन्दर चरित्र हैं।