भक्तों के लिये भजनों का महत्त्व अमृत-तुल्य है। भगवत्प्रेम में उन्मत्त प्रेमी का मन अनेक प्रकार के भावतरंगों से अनुप्राणित होकर भजन बन जाता है। इन्हीं भावतरंगों की सहज माधुरी को समेटकर 67 मधुर भजनों का यह संग्रह निवेदन, भगवद्-वियोग, लीलागान आदि शीर्षकों में प्रकाशित किया गया है।